सवाल-अगर कुरान एक मुक्कमल किताब है, तो हदिस को मानने का मतलब क़ुरान मुक्कमल किताब नहि है, हदीस मानना मतलब अल्लाह नही है। (माज़ अल्लाह)*
*सवाल-अगर कुरान एक मुक्कमल किताब है, तो हदिस को मानने का मतलब क़ुरान मुक्कमल किताब नहि है, हदीस मानना मतलब अल्लाह नही है। (माज़ अल्लाह)*
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🍃 *क़ुरान क्या है ?*
क़ुरान अल्लाह का कलाम (ईश वाणी)है । जो उसके आख़िरी पैगम्बर हज़रत मोहम्मद ﷺ पर नाज़िल (अवतरित) हुई। इसमे कुल 114 सुरः (पाठ) हैं, दूसरे धर्म ग्रँथों से अलग क़ुरान की विशेषता यह है कि इसमे विशुद्ध अल्लाह का कलाम (ईश वाणी) है इसके अलावा इसमें ना किसी और के वचन हैं ना किसी और कि कोई शिक्षा है ना किसी और कि कोई व्याख्या। ना हि कोई विरोधाभास ना हि कोई मिलावट।
*हदीस क्या है ?*
पैगम्बर ऐ इंसानियत हज़रत मुहम्मद सल्ललाहो अलेहिवसल्लम ने जो लोगो को क़ुरान के बारे में सिखाया जैसे क़ुरान में दिए आदेशो का किस तरह पालन करना है, विधि विधान और दुसरी शिक्षाएँ दी वे अलग किताबों में संग्रहित है जिन्हें हदीस कहा जाता है।
जिस के बारे में अल्लाह ने फरमाया क़ुरान में :-
*• अल्लाह ने ईमान वालों पर उपकार किया है कि उनमें उन्हीं में से एक रसूल भेजा, जो उनके सामने (अल्लाह) की आयतें पढ़ता है, उन्हें शुध्द करता है तथा उन्हें पुस्तक (क़ुर्आन) और ह़िक्मत (सुन्नत) की शिक्षा देता है, यद्यपि वे इससे पहले खुले कुपथ में थे_* (क़ुरान 3:164)
अल्लाह (ईश्वर) की हम पर महान कृपा हुई कि उसने ना केवल हमारे मार्गदर्शन के लिए क़ुरान भेजा पर साथ ही क़ुरान की शिक्षा देने के लिए, उसने में दिए आदेशों का किस तरह अमल (प्रैक्टिकल) हो उसके लिए खुद हज़रत मुहम्मद ﷺ को आदर्श (रोल मॉडल बना) कर भेजा खुद आप ﷺ 22 वर्ष के लम्बे अंतराल तक लोगो के बीच रहे क़ुरान पर अमल करते रहे और लोगो को सिखाते रहे ।
जैसा कि क़ुरान में फ़रमाया :-
*• तुम्हारे लिए अल्लाह के रसूल में उत्तमआदर्श है, उसके लिए, जो आशा रखता हो अल्लाह और अन्तिम दिन (प्रलय) की तथा याद करो अल्लाह को अत्यधिक।_* (क़ुरान 33:21)
और हज़रत मुहम्मद ﷺ की इन्ही शिक्षाओं के उल्लेखों को हदीस कहा जाता है। जिसका पालन करने के लिये खुद क़ुरान आदेश देता है ।
*तो क़ुरान किस तरह मुकम्मल किताब है और क्या इन्सान की निजात के लिए अल्लाह ने सर्फ हमे क़ुरान दिया है?*
क़ुरान अपनी जगह मुकम्मल (सम्पूर्ण) है एक मात्र है।जब कि दूसरे धर्म ग्रँथों की बात करें तो उनमें कई ग्रन्थ मिल जाएंगे हिन्दू धर्म में श्रुति और स्म्रति और उसमे भी कई पुस्तके है। जैसे 4 वेद, 18 पुराण, 108 उपनिषद उसके बाद स्म्रति है।
बाइबल के तो कई अलग अलग versions हैं , बौद्ध धर्म में त्रिपट्टिका हैं आदि।
अतः कई बार बुनियादी अक़ीदों (मूल सिद्धांत) में ही विरोधाभास हो जाता है या मूल सिद्धांत और बातों को समझने के लिए ही अलग अलग स्त्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है। और उसमें भी अलग अलग मत और उल्लेख होते है।
जब कि क़ुरान में ऐसा नही है वह सिर्फ 1 मात्र है ,मुकम्मल है जिस का मूल सिद्धांत सम्पूर्ण है, मरणोपरांत जीवन, परलोक आदि और अंत सभी सिद्धान्त मुक़म्मल रुप से स्पष्ठ है इसमे कोई विरोधाभास नही है। और इसके लिए आपको और किसी ग्रन्थ पर आश्रित होने की आवश्यकता नहीं।
जहाँ तक हदीस की बात है तो वह सिर्फ क़ुरान की एप्पलीकेशन की तरह है जिसका क़ुरान से कभी टकराव नही हो सकता ।
जैसे उदाहरण के तौर पर अल्लाह ने लोगो को क़ुरान में नामज़ पड़ने का हुक्म दिया। अब नमाज़ पढ़ना कैसे है उसके लिये खुद हज़रत मुहम्मद ﷺ को लोगो के बीच भेजा ,उन्होने खुद नामज़ पढ़ी लोगों को उसकी विधि सिखाई वह हदीसो में संग्रहित है। अतः क़ुरान में आदेश है ,तो हज़रत मुहम्मद ﷺ की सुन्नत (तरीक़े) से उस आदेश को कैसे पूरा करना है वह पता चलता है। और उस तरीके (सुन्नत) का उल्लेख हदीस कहलाता है।
🍁 अंत मे अति महत्वपूर्ण बात यह कि कुछ लोगों को इस्लाम का बुनियादी सिद्धांत ही पता नही होते और वे अपने अनुसार ही व्याख्या कर लेते हैं। जैसे यहाँ सवाल करने वाले का आभास है कि इस्लाम में मनुष्य की निजात के लिए अल्लाह ने सिर्फ क़ुरान भेजा और सिर्फ वह ही प्रयाप्त होना चाहिये। जबकि उसे नही पता कि *अल्लाह ने सिर्फ क़ुरान ही नही भेजा बल्कि साथ ही रसूल ﷺ भी भेजे हैं और इसलाम का बुनियादी अक़ीदा ही क़ुरान और सुन्नत (रसूल ﷺ की शिक्षाओं) दोनो पर अमल है दोनो को मिला कर ही इंसान का दीन (धर्म) मुकम्मल होता है।*
जैसा कि फ़रमाया क़ुरान में -
" *हे ईमान वालो! अल्लाह की आज्ञा का अनुपालन करो और रसूल की आज्ञा का अनुपालन करो..*(क़ुरान4:59)
*जिस चीज का नबी तुम्हें आदेश दे उसको ले लो और जिस चीज से रोकें उससे रुक जाओ। सूरह हश्र/7*
अतः हदीस (आप की शिक्षाओं का उल्लेख) का पालन दरअसल क़ुरान के आदेश का पालन करना ही है और दोनों मिलकर ही दीन मुकम्मल करते है।
इसलिए आपको चाहिए कि आप पहले इसलाम की बुनियादी अक़ीदे का अध्धयन करे और इसके बगैर आप सर्फ अपने assumption के आधार पर कोई आक्षेप करते रहेंगे तो वह इतने ही निराधर साबित होंगे जितना की यह आक्षेप हुआ।
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