सोने के वक़्त पढ़ी जाने वाली दुआएँ।(भाग-1

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_*بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ*_

_*बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम*_

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🟥 _*सोने के वक़्त पढ़ी जाने वाली दुआएँ।(भाग-1)*_


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✅(1)हज़रते अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने एक मर्तबह सद्क़ह फित़्र के गल्ले की हिफाज़त पर मुझे मुक़र्रिर किया एक शख्स आया और दोनो हाथों से ग़ल्लह लप भर-भर कर लेने लगा मैने उसे पकड़ लिया और कहा कि अब मै तुझे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की खिदमत मे पेश करूँगा फिर उन्होने आखिर तक हदीस बयान की,उसने(चोर ने)अबूहुरैरह रज़ियल्लाहो अन्ह से कहा कि 


((जब तुम अपने बिस्तर पर सोने के लिए लेटने लगो तो(آيَةَ الْكُرْسِيِّ)"आयतल्कुर्सी" पढ़ लिया करो इसकी बरकत से अल्लाह तआला की त़रफ से तुमपर एक निगहबान मुक़र्रिर हो जाएगा और शैत़ान तुम्हारे क़रीब सुबह तक न आ सकेगा,नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया कि बात तो उसने सच्ची कही है अगरचे वह खुद झूठा है,वह शैत़ान था।))


सही बुखारी,किताब बदइल्खल्क़ि,हदीस नम्बर 3275,तखरीज-सही बुखारी 2311,


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✅أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ,


ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْحَىُّ ٱلْقَيُّومُ ۚ لَا تَأْخُذُهُۥ سِنَةٌۭ وَلَا نَوْمٌۭ ۚ لَّهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۗ مَن ذَا ٱلَّذِى يَشْفَعُ عِندَهُۥٓ إِلَّا بِإِذْنِهِۦ ۚ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ۖ وَلَا يُحِيطُونَ بِشَىْءٍۢ مِّنْ عِلْمِهِۦٓ إِلَّا بِمَا شَآءَ ۚ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ ۖ وَلَا يَـُٔودُهُۥ حِفْظُهُمَا ۚ وَهُوَ ٱلْعَلِىُّ ٱلْعَظِيمُ

नोट- مِّنْ मे م के नीचे ज़ेर है।


((अऊज़ु बिल्लाहि मिनश् शैतानिर् रजीम,पनाह माँगता हूँ मै अल्लाह की शैत़ान मरदूद से।))


((अल्लाहु लाइलाहा इल्ला हुवल् हय्युल क़य्यूमु,ला तअखुज़ुहू सिनतुवं वला नौम्,लहू माफिस् समावाति वमा फिल् अर्ज़ि,मन्ज़्ल्लज़ी यश्फऊ इन्दहू इल्ला बिइज़्निहि,यअलमु मा बैना ऐदीहिम् वमा खल्फहुम,वला युहीत़ूना बिशैइम् मिन् इल्मिही इल्ला बिमा शाअ,वसिआ कुर्सिय्युहुस् समावाति वल् अर्ज़ा,वला यऊदुहू हिफ्ज़ुहुमा,वहुवल् अलिय्युल् अज़ीमु/अल्लाह तआला ही मअबूद ए बरहक़ है,जिसके सिवा कोई मअबूद नहीं,जो ज़िन्दह और सबका थामने वाला है,जिसे न ऊँघ आए न नींद,उसकी मिल्कियत मे ज़मीन और आसमानों की तमाम चीज़ें हैं,कौन है जो उसकी इजाज़त के बगैर उसके सामने शिफाअत कर सके,वह जानता है जो उनके सामने है और जो उनके पीछे है और वह उसके इल्म मे से किसी चीज़ का अहात़ह नहीं कर सकते,मगर जितना वह चाहे,उसकी कुर्सी की उसअत ने ज़मीन व आसमान को घेर रखा है और अल्लाह तआला उनकी हिफाज़त से न थकता और न उकताता है,वह तो बहुत बुलन्द और बहुत बड़ा है।)


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 255,,जिसे आयतल् कुर्सी कहा जाता है।


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✅(2)अबूमस्ऊद रज़ियलालाहो अन्ह ने बयान किया कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,


((जिसने सूरह अल्बक़रह की 2 आखिरी आयतें रात मे पढ़ लीं वह उसे हर आफत से बचाने के लिए काफी हो जाएँगी।))


सही बुखारी,किताबु फज़ायलिल्क़ुर्आन,हदीस नम्बर 5009,तखरीज-सही बुखारी 4008,


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✅(3)हज़रते अबू मस्ऊद अन्सारी रज़ियल्लाहो तआला अन्ह से रिवायत की उन्होने कहा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया,


((जिसने रात के वक़्त सूरह बक़रह की यह आखिरी दो आयात पढ़ीं वह उसके लिए काफी होंगी।))


अब्दुर्रहमान ने कहा मैं खुद अबू मस्ऊद रज़ियल्लाहो अन्ह को मिला वह बैतुल्लाह का त़वाफ कर रहे थे मैने उनसे पूछा तो उन्होंने मुझे यह रिवायत नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से सुनाई।


{सहीमुस्लिम,किताबुफज़ायलिल्क़ुर्आनि वमा यतअल्लक़ु बिही 808(1880),तखरीज-अबूदाऊद 1397,तिर्मिज़ी 2881,इब्ने माजह 1368,अमल अल्यौम वल्लैलह निसाई 718}


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✅أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ,


ءَامَنَ ٱلرَّسُولُ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْهِ مِن رَّبِّهِۦ وَٱلْمُؤْمِنُونَ ۚ كُلٌّ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَمَلَـٰٓئِكَتِهِۦ وَكُتُبِهِۦ وَرُسُلِهِۦ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍۢ مِّن رُّسُلِهِۦ ۚ وَقَالُوا۟ سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ ٱلْمَصِيرُ(285)

नोट-نُفَرِّقُ मे ر के नीचे ज़ेर है,और مِّن मे م के नीचे ज़ेर है।


لَا يُكَلِّفُ ٱللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا ٱكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ إِن نَّسِينَآ أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَآ إِصْرًۭا كَمَا حَمَلْتَهُۥ عَلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِۦ ۖ وَٱعْفُ عَنَّا وَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَآ ۚ أَنتَ مَوْلَىٰنَا فَٱنصُرْنَا عَلَى ٱلْقَوْمِ ٱلْكَـٰفِرِينَ(286)

नोट-يُكَلِّفُ मे ل के नीचे ज़ेर है और تُحَمِّلْنَا मे م के नीचे ज़ेर है।


((अऊज़ु बिल्लाहि मिनश् शैतानिर् रजीम,पनाह माँगता हूँ मै अल्लाह की शैत़ान मरदूद से।))


{{आमनर् रसूलु बिमा उन्ज़िला इलैहि मिर् रब्बिही वल् मुअमिनून्,कुल्लुन् आमना बिल्लाहि वमलाइकतिही वकुतुबिही वरुसुलिह्,ला नुफर्रिक़ु बैना अहदिम् मिर् रुसुलिह्,वक़ालू समिअना वअत़अना ग़ुफरानका रब्बना वइलैकल् मस़ीर(285)/रसूल ईमान लाया इस चीज़ पर जो इसकी त़रफ अल्लाह तआला की जानिब से उतरी और मोमिनी भी ईमान लाए,यह सब अल्लाह तआला और उसके फरिश्तों पर और उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए,उसके रसूलों मे से किसी मे हम तफरीक़ नहीं करते उन्होने कह दिया कि हमने सुना और इत़ाअत की,हम तेरी बख्शिश त़लब करते है,ऐ हमारे रब!और हमे तेरी ही त़रफ लौटना है।}}


{{ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन् इल्ला वुस्अहा,लहा मा कसबत वअलैहा मक्तसबत्,रब्बना ला तुआख़िज़्ना इन्नसीना औ अख़्त़अना,रब्बना वला तह्मिल् अलैना इस़्रन् कमा हमल्तहू अलल्लज़ीना मिन् क़ब्लिना,रब्बना वला तुहम्मिल्ना मा ला त़ाक़ता लना बिही,वअफु अन्ना,वग़्फिर् लना,वर्हम्ना,अन्ता मौलाना फन्स़ुर्ना अलल् क़ौमिल् काफिरीन्/अल्लाह तआला किसी जान को उसकी त़ाक़त से ज़्यादह तकलीफ नहीं देता,जो नेकी वह करे वह उसके लिए और जो बुराई वह करे वह उस पर है,ऐ हमारे रब!अगर हम भूल गये हों या ख़त़ा की हो तो हमें न पकड़ना,ऐ हमारे रब!हम पर वह बोझ न डाल जो हमसे पहले लोगो पर डाला था,ऐ हमारे रब!हम पर वह बोझ न डाल जिसकी हमे त़ाकत न हो और हमसे दरगुज़र फरमा और हमें बख्श दे और हम पर रहम कर!तू ही हमारा मालिक है,हमें काफिरों की क़ौम पर गल्बह अत़ा फरमा।}}


सूरह अल् बक़रह सूरह नम्बर 2 की आखिरी दो आयात आयत नम्बर 285 व 286 हैं।


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📴 _*सोने से पहले अल् मुसब्बिहात{(सूरह बनी इस्राईल(17),अल् हदीद(57),अल् हश्र(59),अल् सफ(61),अल् जुमअह(62),अत्तग़ाबुन्(64),अल् अअला(87)}की तिलावत करना।*_


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✅(4)हज़रत ए इरबाज़ बिन सारियह रज़ियल्लाहो अन्ह से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम सोने से पहले अल् मुसब्बिहात की तिलावत फरमाया करते थे और आपने फरमाया इनमे एक आयत है जो हज़ार आयत से अफज़ल है।


सुनन अबूदाऊद,किताबुल्अदब,हदीस नम्बर 5057,तखरीज-इस्नादह हसन,तिर्मिज़ी 2921,त़बरानी फी मुस्नद शामीन 2531,


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📴 _*सोने के वक़्त सूरह बनी इस्राईल(17) व अज़ ज़ुमर्(39) की तिलावत करना।*_


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✅(5)उम्मुल्मोमिनीन आइशह रज़ियल्लाहो अन्हा कहती हैं,नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम सूरह ज़ुमर और सूरह बनी इस्राईल जब तक पढ़ न लेते सोते न थे।


इमाम तिर्मिज़ी रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं,मुझे मुहम्मद बिन इस्माईल बुखारी रहमतुल्लाह अलैह ने खबर दी कि अबू लुबाबह का नाम मरवान है और यह अब्दुर्रहमान बिन ज़ियाद के आज़ादकरदह गुलाम हैं उन्होने आइशह रज़ियल्लाहो अन्हा से सुना है और उनसे(अबू लुबाबह)से हम्माद बिन ज़ैद ने सुना है।


जामेअ तिर्मिज़ी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 3405,तखरीज-इस्नादह सही दारुद्दअवात,हसन दारुस्सलाम,तिर्मिज़ी 2920,


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📴 _*सोने के वक़्त सूरह सज्दह(32) व सूरह मुल्क(67) की तिलावत चरना।*_


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✅(6)जाबिर रज़ियल्लाहो अन्ह कहते है,

✅كَانَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم لاَ يَنَامُ حَتَّى يَقْرَأَ بِتَنْزِيلَ السَّجْدَةِ وَبِتَبَارَكَ

नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम,उस वक़्त तक सोते न थे जबतक कि सोने से पहले आप सूरत सज्दह और सूरह तबारकल् लज़ी,पढ़ न लेते थे।


इमाम तिर्मिज़ी---रिवायत की है।


जामेअ तिर्मिज़ी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 3404,तखरीज-इस्नादह सही दारुद्दअवात,तिर्मिज़ी 2892,अमल अल्यौम वल्लैलह निसाई 706,707,


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📴 _*जो शख्स हर रात सूरह मुल्क पढ़ेगा वह अज़ाबेक़ब्र से महफूज़ रहेगा।*_


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✅(7)हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहो अन्ह फरमाते है कि,


((हम हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के ज़माने मे मानिअह उसका नाम रखते थे एक सूरत का जो क़ुर्आन मे है जो इसको हर रात पढ़ता है वह अज़ाबेक़ब्र से महफूज़ रहेगा वह 'सूरह तबारकल्लज़ी' है।))


यह हदीस सुहैल बिन अबूसालेह से इब्ने अबू हाज़िम रिवायत करते हैं।

अल् मोअजम अल् औसत़ लिल त़बरानी,जिल्द 4,बाबु मीम मनुस्मुहू मुहम्मद,हदीस नम्बर 6216,तखरीज-सही जामेअ सगीर 6472,


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📴 _*सोते वक़्त क़ुल् या अय्युहल् काफिरून(109)पढ़ना।*_


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✅(8)हज़रत फरवह बिन नौफिल अपने वालिद से रिवायत करते है कि नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने नौफिल रज़ियल्लाहो अन्ह से फरमाया था ((क़ुल या अय्युहल् काफिरून)) पढ़ो और इसी पर अपनी बातचीत खत्म करके सो जाओ,बेशक इसमे शिर्क से बराअत का इज़हार है।


सुनन अबूदाऊद,किताबुल्अदब,हदीस नम्बर 5055,तखरीज-इस्नादह हसन,निसाई कुबरा 10637,सही इब्नेहिब्बान 2363,2364,तिर्मिज़ी 3403,बुखारी 5106,


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📴 _*सोने के वक़्त सूरह इख्लास(112),फलक़(113) व नास(114),3-3 बार पढ़कर दम करें।*_


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✅(9)हज़रते आइशह रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि,


{{रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब अपने बिस्तर पर आराम फरमाने के लिए लेटते तो अपनी दोनो हथेलियों पर"क़ुल हुवल्लाहु अहद"और"मुअव्वज़तैन"(क़ुल अऊज़ु बिरब्बिल्फलक़ व क़ुल अऊज़ुबिरब्बिन्नास)सब पढ़कर दम करते फिर दोनो हाथों को अपने चेहरों पर और जिस्म के जिस हिस्से तक हाथ पहुँच पाता फेरते।}}


हज़रते आइशह रज़ियल्लाहो अन्हा ने कहा फिर जब आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम बीमार होते तो आप मुझे इसी त़रह करने का हुक्म देते थे।


युनुस ने बयान किया कि मैने इब्ने शहाब को भी देखा कि वह जब अपने बिस्तर पर लेटते इसीत़रह इनको पढ़कर दम किया करते थे।


सहीबुखारी,किताबुत़्त़िब्ब,हदीस नम्बर 5748,तखरीज-बुखारी 5017,


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✅(10)उम्मुल्मोमिनीन सैय्यिदह आइशह सिद्दीक़ह रज़ियल्लाहो अन्हा ने बयान किया कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम हर रात जब बिस्तर पर आराम फरमाते तो अपनी दोनो हथेलियों को मिलाकर,

✅{‏قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ‏}‏ وَ‏{‏قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ‏}‏ وَ‏{‏قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ‏}‏

(क़ुल हुवल्लाहु अहद,क़ुल अऊज़ु बिरब्बिल् फलक़ और क़ुल अऊज़ु बिरब्बिन्नास)


पढ़कर उनमे फूँकते और फिर दोनो हथेलियों को जहाँ तक मुमकिन होता अपने जिस्म पर फेरते थे,पहले सर और चेहरे पर हाथ फेरते और सामने के बदन पर,यह अमल आप 3 दफह करते थे।


सही बुखारी,किताबु फज़ायलिल्क़ुर्आन,हदीस नम्बर 5017,तखरीज-अबूदाऊद 5056,तिर्मिज़ी 3402,इब्नेमाजह 3875,


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✅(1)بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ○ قُلْ هُوَ ٱللَّهُ أَحَدٌ(1)ٱللَّهُ ٱلصَّمَدُ(2)لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ(3)وَلَمْ يَكُن لَّهُۥ كُفُوًا أَحَدٌۢ(4)

{बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम//क़ुल् हुवल्लाहु अहद(1)अल्लाहुस़् स़मद्(2)लम् यलीद् वलम् यूलद(3)वलम् यकुल्लहू कुफुवन् अहद(4)//शुरू करता हूँ अल्लाह तआला के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है।//आप कह दीजिए कि वह अल्लाह तआला एक है।(1)अल्लाह तआत्ला बेनियाज़ है।(2)न उससे कोई पैदा हुआ,न वह किसी से पैदा हुआ।(3)और न कोई उसका हमसर है।(4)}

सूरह इख्लास,सूरह नम्बर 112,आयत नम्बर 1-4,


✅(2)بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ○ قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلْفَلَقِ(1)مِن شَرِِّمَا خَلَقَ(2)وَمِن شَرِِّغَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ(3)وَمِن شَرِِّ ٱلنَّفَّـٰثَـٰتِ فِى ٱلْعُقَدِ(4)وَمِن شَرِِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ(5)

नोट-بِرَبِّ मे ب के नीचे ज़ेर है।


{बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम//क़ुल् अऊज़ु बिरब्बिल् फलक़(1)मिन् शर्रि मा खलक़्(2)वमिन् शर्रि ग़ासिक़िन् इज़ा वक़ब्(3)वमिन् शर्रिन् नफ्फाषाति फिल्उक़द(4)

वमिन् शर्रि हासिदिन् इज़ा हसद्(5)}

{शुरू करता हूँ अल्लाह तआला के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है।।

{आप कह दीजिए कि मै सुबह के रब की पनाह मे आता हूँ।(1)हर उस चीज़ के शर से जो उसने पैदा की है।(2)और अँधेरी रात की तारीकी के शर से जब उसका अँधेरा फैल जाए।(3)और गिरह मे फूँकने वालियों के शर से।(4)और हसद करने वाले की बुराई से भी जब वह हसद करे।(5)}

सूरह फलक़,सूरह नम्बर 113,आयत नम्बर 1-5,


✅(3)بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ○ قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلنَّاسِ(1)مَلِكِ ٱلنَّاسِ(2)إِلَـٰهِ ٱلنَّاسِ(3)مِن شَرِِّٱلْوَسْوَاسِ ٱلْخَنَّاسِ(4)ٱلَّذِى يُوَسْوِسُ فِى صُدُورِ ٱلنَّاسِ(5)مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ(6)

नोट-بِرَبِّ मे ب के नीचे ज़ेर है।


{बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम//क़ुल् अऊज़ुबिरब्बिन् नासि(1)मलिकिन्नासि(2)इलाहिन्नास(3)मिन् शर्रिल वस्वासिल् खन्नास(4)अल्लज़ी युवस्विसु फी सुदूरिन्नासि(5)मिनल् जिन्नति वन्नास(6)}

{शुरू करता हूँ अल्लाह तआला के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है।//आप कह दीजिए कि मै लोगो के परवरदिगार की पनाह मे आता हूँ।(1)लोगों के मालिक की।(2)लोगों के मअबूद की।(3)वसूसह डालने वाले,पीछे हट जाने वाले के शर से।(4)जो लोगों के सीनों मे वसूसह डालता है।(5)वह जिन्न मे से हो या इँसान मे से।(6)}

(सूरह नास,सूरह नम्बर 114,आयत नम्बर 1-6)


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📴 _*जो शख्स यह सैय्यदुल् इस्तग़्फार रात मे पढ़ ले और उसी रात मे उसकी मौत हो जाए तो वह जन्नत मे जाएगा।*_


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✅(11)शद्दाद बिन औस रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया सबसे उम्दह अस्तग़्फार यह है,

✅اللَّهُمَّ أَنْتَ رَبِّي لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ، خَلَقْتَنِي وَأَنَا عَبْدُكَ، وَأَنَا عَلَى عَهْدِكَ وَوَعْدِكَ مَا اسْتَطَعْتُ، أَبُوءُ لَكَ بِنِعْمَتِكَ علي وَأَبُوءُ لَكَ بِذَنْبِي، فَاغْفِرْ لِي، فَإِنَّهُ لاَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ إِلاَّ أَنْتَ، أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ مَا صَنَعْتُ‏

{{अल्लाहुम्मा अन्ता रब्बी लाइलाहा इल्ला अन्ता,खलक़्तनी वअना अब्दुका,वअना अला अह्दिका ववअदिका मस्तत़अतु,अबूउ लका बिनिअमतिका अलय्या वअबूउ लका बिज़्म्बी,फग़्फिर्ली,फइन्नहू लायग़्फिरुज़्जुनूबा इल्ला अन्ता,अऊज़ुबिका मिन् शर्रा मा सनअतु/ऐ अल्लाह तू मेरा पालने वाला है तेरे सिवा कोई मअबूद नहीं तूने मुझे पैदा किया और मैं तेरा बन्दह हूँ और मैं तेरे अहेद पर क़ायम हूँ और तेरे वअदे पर जहाँ तक मुझसे मुमकिन है तेरी नेअमत का त़ालिब होकर तेरी पनाह मे आता हूँ और अपने गुनाहों से तेरी पनाह चाहता हूँ पस तू मेरी मग़्फिरत फरमा क्योंकी तेरे सिवा गुनाह और कोई नही मुआफ करता मै तेरी पनाह माँगता हूँ अपने बुरे कामों से।}}


अगर किसी ने रात होते ही यह कह लिया और उसी रात उसका इन्तिक़ाल हो गया तो वह जन्नत मे जाएगा या फरमाया कि वह अहलेजन्नत मे होगा और अगर यह दुआ सुबह के वक़्त पढ़ी और उसी दिन उसकी वफ़ात हो गयी तो भी ऐसा ही होगा।


सही बुखारी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 6323,तखरीज-बुखारी 6306,निसाई 5537,


नोट-رَبِّي मे ب के नीचे ज़ेर है।


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📴 _*जो शख्स बिस्तर पर जाते वक़्त यह दुआ पढ़ ले अगर उसकी मौत हो गयी तो फित़रत ए इस्लाम पर मौत होगी।*_


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✅(12)हज़रते बराअ बिन आज़िब रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने एक सहाबी को वसिय्यत की और फरमाया जब बिस्तर पर जाने लगी तो यह दुआ पढ़ा करो,

✅اللَّهُمَّ أَسْلَمْتُ نَفْسِي إِلَيْكَ، وَفَوَّضْتُ أَمْرِي إِلَيْكَ، وَوَجَّهْتُ وَجْهِي إِلَيْكَ، وَأَلْجَأْتُ ظَهْرِي إِلَيْكَ، رَغْبَةً وَرَهْبَةً إِلَيْكَ، لاَ مَلْجَأَ وَلاَ مَنْجَا مِنْكَ إِلاَّ إِلَيْكَ، آمَنْتُ بِكِتَابِكَ الَّذِي أَنْزَلْتَ، وَبِنَبِيِّكَ الَّذِي أَرْسَلْتَ‏

(अल्लाहुम्मा अस्लम्तु नफ्सी इलैका वफव्वज़्तु अम्री इलैका ववज्जह्तु वज्ही इलैका वअल् जअतु ज़ह्री इलैका रग्बतन् व रह्बतन् इलैका ला मल्जआ वला मन्जा मिन्का इल्ला इलैका आमन्तु बि किताबिकल् लज़ी अन्ज़ल्ता वबि नबिय्यकल् लज़ी अर्सल्ता/ऐ अल्लाह!मैने अपनी जान तेरे सुपुर्द की और अपना मुआमलह तुझे सौंपा और अपने आपको तेरी तरफ मुतवज्जह किया और तुझपर भरोसह किया,तेरी तरफ रुग्बत है तेरे खौफ की वजह से,तुझसे तेरे सिवा कोई जाए पनाह नही मै तेरी किताब पर ईमान लाया जो तूने नाज़िल की और तेरे नबी पर जिन्हे तूने भेजा।)


फिर अगर वह मरा तो फित़रत(इस्लाम)पर मरेगा।


सही बुखारी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 6313,तखरीज-मुस्लिम 6886,


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✅(13)सैय्यिदिना इब्ने उमर रज़ियल्लाहो अन्ह ने इब्ने बुरैदह को बयान किया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब अपने बिस्तर पर आते तो यह दुआ पढ़ा करते थे,

✅>الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي كَفَانِي، وَآوَانِي، وَأَطْعَمَنِي، وَسَقَانِي، وَالَّذِي مَنَّ عَلَيَّ فَأَفْضَلَ، وَالَّذِي أَعْطَانِي فَأَجْزَلَ، الْحَمْدُ لِلَّهِ عَلَى كُلِّ حَالٍ، اللَّهُمَّ رَبَّ كُلِّ شَيْءٍ وَمَلِيكَهُ، وَإِلَهَ كُلِّ شَيْءٍ، أَعُوذُ بِكَ مِنَ النَّارِ<.

(अल्हम्दुलिल्लाहिल्लज़ी कफानी वआवानी वअत़्अमनि वसक़ानि वल्लज़ी मन्ना अलय्या फअफ्ज़ला,वल्लज़ी अअत़ानि फअज्ज़ला,अल्हम्दुलिल्लाहि अला कुल्लि हालिन्,अल्लाहुम्मा रब्बा कुल्लि शैइंव वमलीकहु वइलाहा कुल्लि शैइन्,अऊज़ुबिका मिनन्नारि/तमाम तअरीफ अल्लाह के लिए है जिसने मेरी किफायत की और मुझे रहने की जगह इनायत फरमाई,मुझे खिलाया-पिलाया और जिसने मुझपर इहसान किया और बहुत ज़्यादह किया,जिसने मुझे दिया और बहुत खूब दिया,हर हाल मे अल्लाह ही की तअरीफ है,ऐ अल्लाह!ऐ हर चीज़ के परवरदिगार और उसके मालिक!ऐ हर चीज़ के मअबूद!मै आग से तेरी पनाह चाहता हूँ।)


सुनन अबूदाऊद,किताबुल्अदब,हदीस नम्बर 5058,तखरीज-इस्नादह हसन,निसाई कुबरा 10634,सही इब्नेहिब्बान 2357,


नोट-كُلِّ मे ل के नीचे ज़ेर है।


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✅(14)हज़रते हुज़ैफह बिन यमान रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब अपना बिस्तर पर लेटते तो यह कहते 

 ✅بِاسْمِكَ أَمُوتُ وَأَحْيَا ‏

(बिस्मिका अमूतु वअह्या/तेरे ही नाम के साथ मै मुर्दह और ज़िन्दह रहता हूँ।)

और जब बेदार होते तो कहते 

✅الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ

(अल्हम्दुलिल्लाहिल् लज़ी अह्याना बअदा मा अमातना वइलैहिन् नुशूर/उसी अल्लाह के लिए तमाम तअरीफें हैं जिसने हमे ज़िन्दह किया और उसके बअद की उसने मौत त़ारी कर दी थी और उसी की त़रफ लौटना है।)


क़ुर्आन ए मजीद मे जो लफ़्ज़ "तुन्शिरुहा" है उसका भी यही मत़लब है कि हम उसको निकालकर उठाते हैं।


सही बुखारी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 6312,तखरीज-अबूदाऊद 5049,तिर्मिज़ी 3417,इब्नेमाजह 3880,


➖➖➖➖➖➖


✅(15)हज़रत ए हुज़ैफह रज़ियल्लाहो अन्ह ने बयान किया कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब सोने का इरादह करते तो कहते,

✅«بِاسْمِكَ اللَّهُمَّ أَمُوتُ وَأَحْيَا»

(बिस्मिकल्लाहुम्मा अमूतु वअह्या/तेरे नाम के साथ ऐ अल्लाह!मै मरता और तेरे ही नाम से जीता हूँ।)

और जब बेदार होते तो यह दुआ पढ़ते,

✅«الحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ»

(अल्हम्दुलिल्लाहिल्लज़ी अह्याना बअदा मा अमातना वइलैहिन् नुशूर/तमाम तअरीफें उस अल्लाह के लिए हैं जिसने हमे मौत के बअद ज़िन्दगी बख्शी और उसी की त़रफ हमको लौटना है।)


सही बुखारी,किताबुद्दअवात,हदीस नम्बर 6324,तखरीज-सही बुखारी 6312,


➖➖➖➖➖➖


✅(16) हुज़ैफह बिन यमान रज़िल्लाहो अन्ह से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जब सोने का इरादह फरमाते तो कहते,

✅ اللَّهُمَّ بِاسْمِكَ أَمُوتُ وَأَحْيَا  

(अल्लाहुम्मा बिस्मिका अमूतु व अह्या/तेरा ही नाम लेकर मरता हूँ और तेरा ही नाम लेकर जीता हूँ।)

और जब आप सोकर उठते तो कहते,

✅الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَا نَفْسِي بَعْدَ مَا أَمَاتَهَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ   

(अल्हम्दुलिल्लाहिल्लज़ी अह्या नफ्सी बअदा मा अमातहा वइलैहिन् नुशूर्/तमाम तअरीफें उस अल्लाह के लिए हैं,जिसने मेरी जान को ज़िन्दगी बख्शी इसके बअद कि इसे मौत दे दी थी और उसी की त़रफ पलटकर जाना है।)


इमाम तिर्मिज़ी रहमतुल्लाह अलैह कहते है यह हदीस हसन सही है।


जामेअ तिर्मिज़ी,किताबुद्दअवात,3417,तखरीज-इस्नादह सही,बुखारी 6312,7394,अबूदाऊद 5049,इब्नेमाजह 3880,दारमी 2728,

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