क़ुर्आन ए करीम की दुआएँ।(भाग-1

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_*بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ*_

_*बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम*_

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🟥 _*क़ुर्आन ए करीम की दुआएँ।(भाग-1)*_


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🟪 _*(1)सूरह फातिहह{डंक या बीमारी का इलाज सूरह फातिहह से(सही मुस्लिम 5733),बिच्छू के डंक मारे हुए पर दम करना(सही बुखारी 5737),साँप के काटे हुए पर दम करना(सही बुखारी 2276)पागल पर 3 रोज़ तक दम करना(अबूदाऊद 2901)*_


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✅بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ(1)

{बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम/शुरू करता हूँ अल्लाह तआला के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है।}

ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ(2)

{अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल् आलमीन्/सब तअरीफ अल्लाह तआला के लिए है जो तमाम जहानों का पालने वाला है।}

ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ(3)

{अर्रहमानिर्रहीमि/बड़ा मेहरबान निहायत रहम करने वाला।}

مَـٰلِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ(4)

{मालिकि यौमिद्दीन/बदले के दिन का मालिक है।}

إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ(5)

{इय्याका नअबुदू,वइय्याका नस्तईन/हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते है और सिर्फ तुझ ही से मदद चाहते हैं।}

ٱهْدِنَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلْمُسْتَقِيمَ(6)

{इहदिनस्सिरात़ल् मुस्तक़ीम्/हमे सीधी राह दिखा।}

صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّآلِّينَ(7)

{सिरात़ल्लज़ीना अन्अम्ता अलैहिम,ग़ैरिल् मग़्ज़ूबि अलैहिम् वलज़् ज़्वाल्लीन्/उन लोगों की राह जिन पर तू ने इन्आम किया,उनकी नहीं जिन पर ग़ज़ब किया गया और न गुमराहों की।}


सूरह फातिहह,सूरह नम्बर 1,आयत नम्बर 1-7,


{आमीन्/ऐ अल्लाह हमारी दुआ क़ुबूल फरमा।}

नोट-आयत नम्बर 2 मे ب के नीचे ज़ेर है,4 मे د के नीचे ज़ेर है,6 मे ص के नीचे ज़ेर है,7 मे ज़्वाल्लीन् मे ل के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(2)जिहालत से पनाह के लिए मूसा अलैहिस्सलाम का इरशाद।*_


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✅أَعُوذُ بِاللَّهِ أَنْ أَكُونَ مِنَ الْجَاهِلِينَ    

{अऊज़ुबिल्लाहि अन् अकूना मिनल् जाहिलीन्/मै अल्लाह की पनाह पकड़ता हूँ कि जाहिलों से हो जाऊँ।}


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 67,


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🟪 _*(3)मक्कह वालों के लिए सय्यिदिना इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दुआअ।*_


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✅رَبِّ اجْعَلْ هَٰذَا بَلَدًا آمِنًا وَارْزُقْ أَهْلَهُ مِنَ الثَّمَرَاتِ مَنْ آمَنَ مِنْهُم بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ ۖ 

{रब्बिज्अल् हाज़ा बलदन् आमिनंव् वर्ज़ुक़ अह्लहू मिनष् षमराति मन् आमना मिन्हुम् बिल्लाहि वल् यौमिल् आखिर/परवरदिगार!इस जगह को अमन वाला शहर बना दीजिए और यहाँ के बाशिन्दों को जो अल्लाह पर और क़यामत के दिन पर ईमान रखने वाले हों,फलों की रोज़ियाँ दीजिए।}


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 126,

नोट-रब्बी मे ب के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(4)क़ुबूलियत ए अमल के लिए,इब्राहीम व इस्माईल अलैहिमुस्सलाम की दुआअ।*_


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✅ رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّا ۖ إِنَّكَ أَنْتَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ،(127)

{रब्बना तक़ब्बल् मिन्ना इन्नका अन्तस् समीउल् अलीम।/ऐ हमारे रब!हमने यह खिदमत क़ुबूल फरमा बेशक तू सुनने वाला जानने वाला है।}


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 127,


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🟪 _*(5)औलाद को नेकी पर क़ायम रखने के लिए इब्राहीम व इस्माईल अलैहिमुस्सलाम की दुआअ।*_


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✅رَبَّنَا وَاجْعَلْنَا مُسْلِمَيْنِ لَكَ وَمِن ذُرِّيَّتِنَا أُمَّةً مُّسْلِمَةً لَّكَ وَأَرِنَا مَنَاسِكَنَا وَتُبْ عَلَيْنَا ۖ إِنَّكَ أَنتَ التَّوَّابُ الرَّحِيمُ(128)

{रब्बना वज्अल्ना मुस्लिमैनि लका वमिन् ज़ुर्रिय्यतिना उम्मतम् मुस्लिमतल् लका वअरिना मनासिकना वतुब् अलैना इन्नका अन्तत् तव्वाबुर् रहीम।/ऐ हमारे रब!हमे अपना फरमाबरदार बना दे और हमारी औलाद मे से भी एक जमाअत को अपना फरमाबरदार बना और हमे हमारे हज के त़रीक़े बता दे और हमारी तौबह क़ुबूल फरमा,बेशक तू बड़ा तौबह क़ुबूल करने वाला निहायत रहम वाला है।}


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 128,

नोट-आयत नम्बर 128 मे ज़ुर्रिय्यतिना मे ر के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(6)खुत्बह के अखीर मे पढ़ी जाने वाली आयत।*_


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✅فَٱذْكُرُونِىٓ أَذْكُرْكُمْ وَٱشْكُرُوا۟ لِى وَلَا تَكْفُرُونِ

{फज़्कुरूनि अज़्कुर्कुम वश्कुरूली वला तक्फुरून्/पस तुम मुझे याद करो मैं तुम्हें याद करूँगा और तुम मेरा शुक्र करो और मेरी नाशुकरी ना करो}


सूरह अल बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 152,


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🟪 _*(7)मुसीबत और नुक़सान के वक़्त पढ़ी जाने वाली।दुआअ।*_


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✅إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ

{इन्ना लिल्लाहि वइन्ना इलैहि राजिऊन/हम तो खुद अल्लाह की मिल्कियत हैं और हम उसी की त़रफ लौटने वाले हैं।}


सूरह अल् बक़रह, सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 156,


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🟪 _*(8)दुनियाँ व आखिरत की भलाई के लिए दुआ।*_


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✅ رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ

{रब्बना आतिना फिद्दुनिया हसनतवं वफिल् आखिरति हसनतवं वक़िना अज़ाबन् नार।(201)/ऐ हमारे रब!हमे दुनियाँ मे भी भलाई दे और आखिरत मे भी भलाई दे और हमे दोज़ख के अज़ाब से बचा।}


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 201,


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🟪 _*(9)हज़रते त़ालूत और उनके लश्कर ने जंग के मौक़े पर यह दुआ की।*_


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✅ رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ

{रब्बना अफ्रिग़ अलैना स़ब्रंव् वषब्बित अक़्दामना वन्स़ुर्ना अलल् क़ौमिल् काफिरीन्/ऐ परवरदिगार!हमे स़ब्र दे,षाबित क़दमी दे और क़ौमे कुफ्फार पर हमारी मदद फरमा।}


सूरह अल बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 250,

नोट-वषब्बित मे ب के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*{(10)शैत़ान से हिफाज़त का नुस्खह,आयतल् कुर्सी{सोते वक़्त पढ़ना(सही बुखारी 3275)}*_


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✅ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْحَىُّ ٱلْقَيُّومُ ۚ لَا تَأْخُذُهُۥ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ ۚ لَّهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۗ مَن ذَا ٱلَّذِى يَشْفَعُ عِندَهُۥٓ إِلَّا بِإِذْنِهِۦ ۚ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ۖ وَلَا يُحِيطُونَ بِشَىْءٍ مِّنْ عِلْمِهِۦٓ إِلَّا بِمَا شَآءَ ۚ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ ۖ وَلَا يَـُٔودُهُۥ حِفْظُهُمَا ۚ وَهُوَ ٱلْعَلِىُّ ٱلْعَظِيمُ

{अल्लाहु लाइलाहा इल्ला हू,अल् हय्युल् क़य्यूमु,ला तअखुज़ुहू सिनतुव्वंला नौम,लहू माफिस् समावाति वमा फिल् अर्ज़,मन्ज़ल्लज़ी यश्फउ इन्दहू इल्ला बिइज़्निह,यअलमु माबैना ऐदीहिम वमा खल्फहुम्,वला युहीत़ूना बिशैइम् मिन् इल्मिही इल्ला बिमा शाअ,वसिआ कुर्सिय्युहुस् समावाति वल् अर्ज़,वला यऊदुहू हिफ्ज़ुहुमा,वहुवल् अलिय्युल् अज़ीम(255)/अल्लाह तआला ही मअबूद ए बरहक़ है जिसके सिवा कोई मअबूद नही,जो ज़िन्दह और सबका थामने वाला है जिसे न ऊँघ आए न नींद उसकी मिल्कियत मे ज़मीन और आसमान की तमाम चीज़ें हैं,कौन है जो उसकी इजाज़त के बगैर उसके सामने शिफाअत कर सके,वह जानता है जो उनके सामने है  और जो उनके पीछे है और वह उसके इल्म मे से किसी चीज़ का अहात़ह नही कर सकते मगर जितना वह चाहे उसकी कुर्सी की वुस्अत ने ज़मीन व आसमान को घेर रखा है और अल्लाह तआला उनकी हिफाज़त से न थकता और न उकताता है वह तो बहुत बुलन्द और बहुत बड़ा है।}


(सूरह अल् बक़रह सूरह नम्बर 2 आयत नम्बर 255)

नोट-बिशैइम् मिन् इल्मिही मे,मिन् मे م के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(11)अल्लाह से मग़्फिरत त़लब करने की दुआअ।*_


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✅ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ

{ग़ुफरानका रब्बना वइलैकल् मस़ीर/हम आपकी बख्शिश त़लब करते है हमारे रब और हमें आप ही की त़रफ लौटना है।}


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर 2,आयत नम्बर 285,


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🟪 _*(12)एक जामेअ और मुअष्षिर दुआ।(रहम त़लबी और दुश्मन पर ग़ल्बे की दुआअ।)*_


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✅ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَا إِنْ نَسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِنْ قَبْلِنَا ۚ 

{रब्बना ला तुआखिज़्ना इन्नसीना औ अख्त़अना,रब्बना वला तह्मिल् अलैना इसरन् कमा हमल्तहू अलल् लज़ीना मिन् क़ब्लिना/ऐ हमारे रब!अगर हम भूल गये हों या खत़ा की हो तो हमे न पकड़ना,ऐ हमारे रब!हमपर वह बोझ न डाल जो हमसे पहले लोगो पर डाला था।}

✅رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِ ۖ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا ۚ أَنْتَ مَوْلَانَا فَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ 

(रब्बना वला तुहम्मिल्ना मा ला त़ाक़ता लना बिह,वअफु अन्ना,वग़्फिर् लना,वर्हम्ना,अन्ता मौलाना फन्सुर्ना अलल् क़ौमिल् काफिरीन्/ऐ हमारे रब!हम पर इतना बोझ न डाल,जिसके उठाने की हममे त़ाक़त नही और हमारे गुनाहों को मुआफ फरमा और हमें बख्श दे और हमपर रहम फरमा,तूही हमारा हामी व मददगार है,पस तू काफिरों के मुक़ाबले मे हमारी मदद फरमा।)


सूरह अल् बक़रह,सूरह नम्बर2,आयत नम्बर 286,

नोट-तुहम्मिल्ना मे م के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(13)हुसूल ए इस्तिक़ामत की बेहतरीन दुआ।*_


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✅ رَبَّنَا لَا تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِنْ لَدُنْكَ رَحْمَةً ۚ إِنَّكَ أَنْتَ الْوَهَّابُ

{रब्बना ला तुज़िग़ क़ुलूबना बअदा इज़् हदैतना वहब् लना मिल् लदुन्का रह्मह,इन्नका अन्तल् वह्हाब(8)/ऐ हमारे रब!जब तू हमे हिदायत दे दे तो इसके बअद हमारे दिलों को टेढ़ा मत कर और अपनी त़रफ से हमे रहमत अत़ा फरमा,बेशक तू बहुत देने वाला है।}


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 8,


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🟪 _*(14)क़यामत के दिन रहम की दुआअ।*_


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✅ رَبَّنَا إِنَّكَ جَامِعُ النَّاسِ لِيَوْمٍ لَا رَيْبَ فِيهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ لَا يُخْلِفُ الْمِيعَادَ

{रब्बना इन्नका जामिउन्नासि लियौमिल् लारैबा फीहि,इन्नल्लाहा ला युख्लिफुल् मीआद।(9)/ऐ हमारे रब!तू यक़ीनन लोगों को उस दिन जमअ करने वाला है,जिसके आने मे कोई शक नहीं,यक़ीनन अल्लाह वअदह खिलाफी नहीं करता।}


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 9,


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🟪 _*(15)गुनाहों से मुआफी और जहन्नुम की आग से निजात की दुआ।*_


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✅ رَبَّنَا إِنَّنَا آمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ

{रब्बना इन्नना आमन्ना फग्फिर्लना ज़ुनूबना वक़िना अज़ाबन् नारि(16)/ऐ हमारे रब!हम यक़ीनन ईमान ले आए हैं हमारे गुनाहों को मुआफ फरमा और हमे दोज़ख के अज़ाब से बचा।}


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 16,


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🟪 _*(16)रिज़्क़ के हुसूल और  क़र्ज़ की अदायगी की दुआअ।*_


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✅اللَّهُمَّ مَالِكَ الْمُلْكِ تُؤْتِي الْمُلْكَ مَن تَشَاءُ وَتَنزِعُ الْمُلْكَ مِمَّن تَشَاءُ وَتُعِزُّ مَن تَشَاءُ وَتُذِلُّ مَن تَشَاءُ ۖ بِيَدِكَ الْخَيْرُ ۖ إِنَّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ

{अल्लाहुम्मा मालिकल् मुल्कि तुअतिल् मुल्का मन् तशाउ वतन्ज़िउल् मुल्का मिम्मन् तशाउ,वतुइज़्ज़ु मन् तशाउ वतुज़िल्लु मन् तशाउ,बियदिकल्ख़ैर,इन्नका अला कुल्लि शैइन क़दीर(26)/ऐ अल्लाह!ऐ तमाम जहान के मालिक!तू जिसे चाहे बादशाही दे और जिससे चाहे सल्त़नत छीन ले और तू जिसे चाहे इज़्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे,तेरे ही हाथ मे सब भलाईयाँ हैं,बेशक तू हर चीज़ पर क़ादिर है।}

✅تُولِجُ اللَّيْلَ فِي النَّهَارِ وَتُولِجُ النَّهَارَ فِي اللَّيْلِ ۖ وَتُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَتُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ ۖ وَتَرْزُقُ مَن تَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ


तूलिजुल्लैला फिन्नहारि वतूलिजुन् नहारा फिल्लैलि वतुख़्रिजुल् हय्या मिनल् मय्यिति वतुख़्रिजुल् मय्यिता मिनल् हय्यि वतर्ज़ुक़ू मन् तशाउ बिग़ैरि हिसाब(27)/तू ही रात को दिन मे दाखिल करता है और दिन को रात मे ले जाता है तू ही बेजान से जानदार पैदा करता है और तू ही जानदार से बेजान पैदा करता है,तू ही है कि जिसे चाहता है बेशुमार रोज़ी देता है।}


सूरह आल इमरान, सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 26,27,

नोट-आयत नम्बर 26 मे कुल्लि मे ل के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(17)क़ुबूलियत ए नज़्र के लिए मरयम अलैहिस्सलाम की दुआअ।*_


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✅رَبِّ إِنِّي نَذَرْتُ لَكَ مَا فِي بَطْنِي مُحَرَّرًا فَتَقَبَّلْ مِنِّي ۖ إِنَّكَ أَنتَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ 

{रब्बी इन्नी नज़र्तु लका मा फी बत़्नी मुहर्ररन् फतक़ब्बल् मिन्नी,इन्नका अन्तस् समीउल् अलीम्/मेरे रब!मेरे पेट मे जो कुछ है उसे मैने आपके नाम आज़ाद करने की नज़्र मानी,आप मेरी त़रफ से क़ुबूल कर लीजिए,यक़ीनन आप खूब सुनने वाले और पूरी त़रह जानने वाले हैं।}


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 35,

नीट-रब्बी मे ب के नीचे ज़ेर है और मिन्नी मे ن के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*{(18)ज़करिया अलैहिस्सलाम की(हुसूल ए औलाद के लिए दुआअ।)}*_


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✅ رَبِّ هَبْ لِي مِنْ لَدُنْكَ ذُرِّيَّةً طَيِّبَةً ۖ إِنَّكَ سَمِيعُ الدُّعَاءِ

{रब्बी हब्ली मिल् लदुन्का ज़ुर्रिय्यतन् त़य्यबह,इन्नका समीउद्दुआइ/ऐ मेरे परवरदिगार! मुझे अपने पास से पाकीज़ह औलाद अत़ा फरमा बेशक तू दुआ का सुनने वाला है।}


सुरह आल इमरान सूरह नम्बर 3 आयत नम्बर 38

नोट-रब्बी मे ب के नीचे ज़ेर है,ज़ुर्रिय्यतन् मे ر के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(19)नेक लोगों मे शामिल होने की दुआअ।*_


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✅ رَبَّنَا آمَنَّا بِمَا أَنْزَلْتَ وَاتَّبَعْنَا الرَّسُولَ فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ

{रब्बना आमन्ना बिमा अन्ज़ल्ता वत्तबअनर् रसूला फक्तुब्ना मअश् शाहिदीन्।(53)/ऐ हमारे रब!जो तूने(किताब)नाज़िल फरमाई है हम उसपर ईमान ले आए और हमने तेरे रसूल की इत्तिबाअ की इसलिए तू हमको गवाहों मे लिख ले।}


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 53,


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🟪 _*(20)मग़्फिरत,षाबित क़दमी और ग़ल्बे की दुआअ।*_


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✅رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَإِسْرَافَنَا فِي أَمْرِنَا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ

(रब्बनग्फिर्लना ज़ुनूबना वइस्राफना फी अम्रिना वषब्बित अक़्दामना वन्सुर्ना अलल् क़ौमिल् काफिरीन्।(147)/ऐ हमारे रब!हमारे गुनाहों और हमारे मुआमलात मे हमारी ज़्यादतियों को मुआफ फरमा और हमे षाबित क़दम रख और काफिर क़ौम के खिलाफ हमारी मदद फरमा।)


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 147,

नोट-वषब्बित मे ب के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(21)हर क़िस्म की परेशानी के इज़ाले की दुआअ।*_


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✅حَسْبُنَا اللَّهُ وَنِعْمَ الْوَكِيلُ

{हस्बुनल्लाहु वनिअमल् वकील/हमे अल्लाह काफी है और वह अच्छे कारसाज़ हैं।}


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 173,


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🟪 _*(22)आखिरत मे आसानी,गुनाहों की मुआफी और खात्मह बिल खैर की दुआअ।*_


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✅رَبَّنَا مَا خَلَقْتَ هَٰذَا بَاطِلًا سُبْحَانَكَ فَقِنَا عَذَابَ النَّارِ

{रब्बना मा ख़लक़्ता हाज़ा बात़िला,सुब्हानका फक़िना अज़ाबन्नारि।(191)/ऐ हमारे रब!तूने यह बेफायदह नही बनाया तू पाक है,तू हमे आग के अज़ाब से बचा ले।}

 ✅رَبَّنَا إِنَّكَ مَنْ تُدْخِلِ النَّارَ فَقَدْ أَخْزَيْتَهُ ۖ وَمَا لِلظَّالِمِينَ مِنْ أَنْصَارٍ

{रब्बना इन्नका मन् तुद्खिलिन्नारा फक़द् अख्ज़ैतह,वमा लिज़्ज़ालिमीना मिन् अन्सार।(192)/ऐ हमारे रब!तूने जिसको दोज़ख मे डाला यक़ीनन तूने उसको रुस्वा किया और ज़ालिमों का मददगार कोई नहीं।}

✅ رَبَّنَا إِنَّنَا سَمِعْنَا مُنَادِيًا يُنَادِي لِلْإِيمَانِ أَنْ آمِنُوا بِرَبِّكُمْ فَآمَنَّا ۚ رَبَّنَا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّئَاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الْأَبْرَارِ

{रब्बना इन्नना समिअना मुनादिययं युनादी लिल् ईमानि अन् आमिनु बिरब्बिकुम फआमन्ना,रब्बना फग़्फिर्लना ज़ुनूबना वकफ्फिर अन्ना सय्यिआतिना वतवफ्फना मअल् अबरारि/ऐ हमारे रब!हमने सुना कि मुनादी करने वाला बाआवाज़ बुलन्द ईमान की त़रफ बुला रहा है कि लोगों अपने रब पर ईमान लाओ तो हम ईमान लाए।ऐ हमारे रब!हमारे गुनाह मुआफ फरमा और हमारी बुराइयों को हमसे दूर कर दे और हमको दुनिया से नेक बन्दों के साथ उठा।(193)}


नोट-वकफ्फिर मे ف के नीचे ज़ेर है और सय्यिआतिना मे ي के नीचे ज़ेर है।


✅ رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدْتَنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ

{रब्बना वआतिना मा वअत्तना अला रुसुलिका वला तुख्ज़िना यौमल् क़ियामति इन्नका लातुख्लिफुल् मीआदि/ऐ हमारे रब!हमे वह अत़ा फरमा जिसका तूने अपने रसूलों के ज़रिये वअदह किया और हमे क़यामत के दिन रुसवा न करना बेशक तू वअदह खिलाफी नही करता।(194)}


सूरह आल इमरान,सूरह नम्बर 3,आयत नम्बर 191-194,


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🟪 _*(23)ज़ालिमो से छुटकारे की दुआअ।*_


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✅ رَبَّنَا أَخْرِجْنَا مِنْ هَٰذِهِ الْقَرْيَةِ الظَّالِمِ أَهْلُهَا وَاجْعَلْ لَنَا مِنْ لَدُنْكَ وَلِيًّا وَاجْعَلْ لَنَا مِنْ لَدُنْكَ نَصِيرًا

{रब्बना अख्रिज्ना मिन् हाज़िहिल् क़र्यतिज़् ज़ालिमि अह्लुहा वज्अल् लना मिल् लदुन्का वलिय्यन् वज्अल् लना मिल् लदुन्का नसीरा/ऐ हमारे रब!हमको इस शहर से जिसके रहने वाले ज़ालिम हैं निकाल कर कहीं और लिए जा और अपनी त़रफ से किसी को हमारा मददगार बना।(75)}


सूरह अन्निसाअ,सूरह नम्बर 4,आयत नम्बर 75,


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🟪 _*(24)बदकिरदार लोगों से छुटकारे के लिए मूसा अलैहिस्सलाम की दुआअ।*_


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✅رَبِّ إِنِّي لَا أَمْلِكُ إِلَّا نَفْسِي وَأَخِي ۖ فَافْرُقْ بَيْنَنَا وَبَيْنَ الْقَوْمِ الْفَاسِقِينَ

{रब्बी इन्नी ला अम्लिकु इल्ला नफ्सी व अखी फफ्रुक़ बैनना वबैनल् क़ौमिल् फासिक़ीन्/मेरे रब!मुझे तो बजुज़ अपने और मेरे भाई के किसी और पर कोई इख्तियार नही,पस आप हम मे और इन नाफरमानों मे जुदाई डाल दीजिए।}


सूरह आल माइदह,सूरह नम्बर 5,आयत नम्बर 25,

नोट-रब्बी मे ب के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*{(25)हब्शे मे रहने वाले ईसाइयों के बारे मे नाज़िल होने वाली दुआ(नेक लोगो मे शामिल होने की दुआअ)}*_


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✅ رَبَّنَا آمَنَّا فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ

{रब्बना आमन्ना फक्तुब्ना मअश्शाहिदीन्/ऐ हमारे रब!हम ईमान ले आए पस तू हमको भी उन लोगो के साथ लिख ले,जो तस्दीक़ करते हैं।}


सूरह अल् माइदह,सूरह नम्बर 5,आयत नम्बर 83,


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🟪 _*(26)रिज़्क़ के लिए ईसा अलैहिस्सलाम की दुआअ।*_


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✅اللَّهُمَّ رَبَّنَا أَنزِلْ عَلَيْنَا مَائِدَةً مِّنَ السَّمَاءِ تَكُونُ لَنَا عِيدًا لِّأَوَّلِنَا وَآخِرِنَا وَآيَةً مِّنكَ ۖ وَارْزُقْنَا وَأَنتَ خَيْرُ الرَّازِقِينَ

{अल्लाहुम्मा रब्बना अन्ज़िल अलैना माइदतम् मिनस्समाइ तकूनु लना ईदल् लिअव्वलिना वआखिरिना वआयतम् मिन्का, वर्ज़ुक़्ना वअन्ता ख़ैरुर् राज़िक़ीन्/अल्लाह!हमारे परवरदिगार!हम पर आसमान से खाना नाज़िल कीजिए कि वह हमारे लिए यअनि हममे जो अव्वल हैं और जो बअद के हैं सबके लिए एक खुशी की बात हो जाए और आपकी त़रफ से एक निशानी हो जाए और आप हमे रोज़ी अत़ा कर दीजिए और आप बेहतरीन अत़ा करने वाले हैं।}


सूरह अल् माइदह,सूरह नम्बर 5,आयत नम्बर 114,

नोट-यहाँ मिनस् मे  م के नीचे ज़ेर है,लिअव्वलिना मे ل के नीचे ज़ेर है,मिन्का م के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(27)बख्शिश त़लब करने की दुआ।(यह दुआ आदम व हव्वा अलैहिमुस्सलाम ने की थी।)*_


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✅ رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنْفُسَنَا وَإِنْ لَمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ 

(रब्बना ज़लम्ना अन्फुसना,वइल्लम् तग़्फिर् लना वतर्हम्ना लनकूनन्ना मिनल् खासिरीन्/ऐ हमारे रब!हमने अपने आप पर बहुत ज़ुल्म किया है और अगर तूने हमे मुआफ न किया और हम पर रहम न किया तो हम ज़रूर खसारह पाने वालों मे से हो जाएँगे।)


सूरह अल् ऐराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 23,


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🟪 _*(28)ज़ालिमों से अलाहेदगी और इस्तिक़ामत की दुआ।*_


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✅رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا مَعَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ

{रब्बना ला तज्अल्ना मअल् क़ौमिज़् ज़ालिमीन/हमारे रब!हमे इन ज़ालिम लोगो के साथ शामिल न कीजिए।}


सूरह अल अअराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 47,


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🟪 _*{(29)शुऐब अलैहिस्सलाम की(हक़ की फतह के लिए दुआ।)}*_


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✅ رَبَّنَا افْتَحْ بَيْنَنَا وَبَيْنَ قَوْمِنَا بِالْحَقِّ وَأَنْتَ خَيْرُ الْفَاتِحِينَ

{रब्बनफ्तह बैनना वबैना क़ौमिना बिल् हक़्क़ि व अन्ता खैरुल्फातिहीन्/ऐ हमारे परवरदिगार!हमारे और हमारी क़ौम के दरम्यान हक़ के मुवाफिक़ फैसलह कर दे और तू सबसे अच्छा फैसलह करने वाला है।}


सूरह अल अअराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 89,

नोट-बिल्हक़्क़ि मे ق के नीचे ज़ेर है।


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🟪 _*(30)तमाम फिकरों से आज़ादी की दुआ।*_


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✅رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَتَوَفَّنَا مُسْلِمِينَ

{रब्बना अफ्रिग़ अलैना स़ब्रंव् वतवफ्फना मुस्लिमीन/हमारे रब!हमारे ऊपर सब्र का फैज़ान कर दीजिए और हमारी जान हालत ए इस्लाम पर निकालना।}


सूरह अल अअराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 126,


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🟪 _*(31)अल्लाह तआला से मुआफी की दुआ।*_


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✅سُبْحَانَكَ تُبْتُ إِلَيْكَ وَأَنَا أَوَّلُ الْمُؤْمِنِينَ

{सुब्हानका तुब्तु इलैका वअना अव्वलुल् मुअमिनीन्/आप पाक हैं मै आपकी जनाब मे तौबह करता हूँ और मै सबसे पहले आप पर ईमान लाने वाला हूँ।}


सूरह अल अअराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 143,


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🟪 _*(32)तौबह व मग़्फिरत व रहमत की दुआ।*_


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✅أَنتَ وَلِيُّنَا فَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا ۖ وَأَنتَ خَيْرُ الْغَافِرِينَ

{अन्ता वलिय्युना फग़्फिर्लना वर्हम्ना वअन्ता ख़ैरुल् ग़ाफिरीन(155)/आप ही हमारे कारसाज़ हैं पस हम पर मग़्फिरत व रहमत कीजिए और आप सब मुआफी देने वालों से ज़्यादह अच्छे हैं।}

✅وَااكْتُبْ لَنَا فِي هَٰذِهِ الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ إِنَّا هُدْنَا إِلَيْكَ ۚ 

{वक्तुब् लना फी हाज़िहिद् दुनिया हसनलंव् वफिल् आखिरति इन्ना हुद्ना इलैक्---(156)/और हमारे लिए दुनियाँ मे भी नेक हाली लिख दीजिए और आखिरत मे भी,हम आपकी त़रफ रुजूअ करते हैं।}


सूरह अल् अअराफ,सूरह नम्बर 7,आयत नम्बर 155-156


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